Oil Price Update – सरसों तेल और रिफाइंड तेल की कीमतों में हाल ही में ₹25 प्रति लीटर तक की भारी गिरावट दर्ज की गई है, जिससे आम जनता को बड़ी राहत मिली है। लगातार बढ़ती महंगाई के बीच रसोई खर्च में यह कमी एक सकारात्मक संकेत है। बीते कुछ महीनों से सरसों और रिफाइंड तेल के दाम आसमान छू रहे थे, जिससे मध्यम और निम्न वर्गीय परिवारों का बजट गड़बड़ा गया था। लेकिन अब बाजार में सरसों तेल ₹130 से घटकर ₹105-110 प्रति लीटर और रिफाइंड तेल ₹120 से घटकर ₹95-100 प्रति लीटर के बीच पहुंच गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में भाव कम होने और घरेलू उत्पादन बढ़ने के कारण आई है। साथ ही सरकार की ओर से खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में राहत देने से भी कीमतों में सुधार देखा गया है।

सरसों तेल की कीमत में राहत का कारण
सरसों तेल की कीमतों में गिरावट के कई प्रमुख कारण हैं। सबसे बड़ा कारण यह है कि इस साल सरसों की फसल का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 12% अधिक हुआ है। इससे बाजार में आपूर्ति बढ़ी और मांग के मुकाबले स्टॉक अधिक हो गया। इसके अलावा सरकार ने तेल व्यापारियों पर स्टॉक लिमिट लागू की है ताकि जमाखोरी को रोका जा सके। इस कदम से कालाबाजारी पर रोक लगी और कीमतें सामान्य स्तर पर आने लगीं। भारत के उत्तरी राज्यों जैसे राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अधिक पैदावार ने भी सरसों तेल के बाजार को स्थिर किया है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि उत्पादन और आयात दोनों सामान्य रहे तो आने वाले महीनों में और भी राहत मिल सकती है।
रिफाइंड तेल में आई गिरावट के पीछे की वजह
रिफाइंड तेल, विशेषकर सोयाबीन और सूरजमुखी तेल की कीमतों में भी गिरावट दर्ज की गई है। इसका मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में आई नरमी है। इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देशों से आयात बढ़ने के चलते घरेलू बाजार में आपूर्ति भरपूर हो गई है। साथ ही रुपये की मजबूती ने भी आयातित तेल को सस्ता किया है। सरकार ने हाल ही में रिफाइंड तेलों पर आयात शुल्क घटाने का निर्णय लिया था, जिससे उपभोक्ताओं को सीधा लाभ मिला। खुदरा दुकानदारों का कहना है कि आने वाले समय में रिफाइंड तेल की कीमतें और 5 से 8 रुपये प्रति लीटर तक कम हो सकती हैं।
उपभोक्ताओं को मिलने वाले लाभ
इस मूल्य गिरावट से आम उपभोक्ताओं को काफी राहत मिली है। रसोई खर्च कम होने से घरेलू बजट पर सकारात्मक असर पड़ा है, खासकर उन परिवारों पर जो हर महीने बड़ी मात्रा में तेल का उपयोग करते हैं। मिठाई, स्नैक्स और तले हुए खाद्य पदार्थों की लागत भी अब घटेगी। इसके अलावा छोटे रेस्टोरेंट और होटल उद्योग को भी इससे राहत मिली है क्योंकि उनकी लागत में सीधी कटौती हुई है। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि यदि तेल की कीमतें अगले कुछ महीनों तक इसी स्तर पर बनी रहती हैं, तो इससे महंगाई दर में भी कमी आ सकती है।
भविष्य में क्या रहेगा रुझान
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार स्थिर रहा और कच्चे तेल के दाम में कोई बड़ा उतार-चढ़ाव नहीं हुआ, तो भारत में खाद्य तेल की कीमतें और नीचे जा सकती हैं। हालांकि मानसून की स्थिति और वैश्विक मांग पर निर्भर करते हुए कुछ बदलाव संभव हैं। सरकार लगातार बाजार की निगरानी कर रही है ताकि उपभोक्ताओं को स्थायी राहत मिल सके। उपभोक्ताओं के लिए यह एक सुनहरा अवसर है कि वे घरेलू उपयोग के लिए पर्याप्त मात्रा में तेल खरीद सकें और अपने मासिक खर्चों में बचत कर सकें। आने वाले महीनों में अगर यह रुझान कायम रहा, तो रसोई की रौनक और बढ़ जाएगी।
