Old Pension Scheme – पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को लेकर सरकारी कर्मचारियों में लंबे समय से असंतोष देखा जा रहा है। इसी मुद्दे को लेकर अब देशभर के कर्मचारी एक बार फिर सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं। खबरों के अनुसार, 9 नवंबर को दिल्ली में एक बड़ा आंदोलन होने जा रहा है, जिसमें विभिन्न राज्यों के सरकारी कर्मचारी शामिल होंगे। उनका मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार से OPS की बहाली की मांग करना है, ताकि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को जीवनभर पेंशन की सुविधा फिर से मिल सके। पुरानी पेंशन योजना को 2004 में बंद कर नई पेंशन योजना (NPS) लागू की गई थी, जिससे कर्मचारियों को अब गैर-गारंटीड पेंशन मिलती है। यही कारण है कि OPS की वापसी के लिए कर्मचारियों में भारी उत्साह और आक्रोश दोनों देखा जा रहा है।

दिल्ली आंदोलन की तैयारियां और राज्यों की भागीदारी
9 नवंबर को होने वाला यह प्रदर्शन अब राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा कर्मचारी आंदोलन बन चुका है। राजस्थान, हिमाचल, पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार समेत कई राज्यों के सरकारी कर्मचारी संगठन इसमें शामिल होंगे। दिल्ली के रामलीला मैदान को इस आंदोलन का केंद्र बनाया गया है, जहां हजारों की संख्या में लोग पहुंचने की उम्मीद है। संगठनों का कहना है कि OPS बहाली अब केवल एक मांग नहीं बल्कि सम्मान और अधिकार की लड़ाई बन चुकी है। केंद्र सरकार से लगातार अपील की जा रही है कि वह NPS को खत्म करके OPS को राष्ट्रीय नीति के रूप में लागू करे, ताकि भविष्य में किसी कर्मचारी को आर्थिक असुरक्षा का सामना न करना पड़े।
OPS बहाली के समर्थन में राज्यों का रुख
कई राज्य सरकारें पहले ही पुरानी पेंशन योजना को लागू कर चुकी हैं, जिससे बाकी राज्यों के कर्मचारियों में भी नई उम्मीद जगी है। राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पंजाब ने पहले ही OPS को बहाल कर दिया है। इससे केंद्र सरकार पर राजनीतिक दबाव बढ़ गया है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि OPS सेवानिवृत्त व्यक्तियों के लिए जीवनभर सुरक्षा कवच है, जबकि NPS एक तरह का निवेश जोखिम है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा न सिर्फ कर्मचारियों के लिए बल्कि राजनीतिक दलों के लिए भी चुनावी बहस का हिस्सा बन सकता है, क्योंकि लाखों सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों का भविष्य इससे जुड़ा है।
OPS बनाम NPS: अंतर और विवाद
पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद उनकी अंतिम सैलरी के 50% पेंशन की गारंटी होती थी, जबकि NPS में यह गारंटी नहीं दी गई। NPS पूरी तरह मार्केट-आधारित स्कीम है, जहां रिटर्न शेयर मार्केट पर निर्भर करता है। यही कारण है कि कर्मचारियों का कहना है कि यह सुरक्षा प्रणाली कमजोर कर देता है। OPS समर्थक यह भी तर्क देते हैं कि जब तक एक स्थायी पेंशन गारंटी नहीं होगी, तब तक सेवानिवृत्त जीवन असुरक्षित रहेगा। कई विशेषज्ञों का मानना है कि OPS और NPS के बीच का यह विवाद भविष्य की वित्तीय नीति को भी प्रभावित करेगा।
आंदोलन का असर और भविष्य की उम्मीदें
दिल्ली में 9 नवंबर को होने वाला यह आंदोलन सरकार पर गहरा असर डाल सकता है। अगर कर्मचारी संगठनों की संख्या उम्मीद से अधिक रही, तो सरकार को नीतिगत निर्णय पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल पेंशन का नहीं बल्कि सामाजिक सुरक्षा का मुद्दा है। अगर OPS बहाली होती है, तो यह कर्मचारियों के लिए एक ऐतिहासिक जीत मानी जाएगी। हालांकि सरकार को वित्तीय बोझ और बजट पर प्रभाव को भी ध्यान में रखना होगा। आने वाले महीनों में यह आंदोलन OPS बहाली की दिशा में नया अध्याय खोल सकता है।
